छा गया जेहन पर

छा गया जेहन पर सुन्दर सा जो ये अक्स है सिर्फ साया है किसी का या कोई सख्श है। बुला रहा जो दूर से ही कर इशारे मुझे है आसमाँ का चाँद या थाली में कोई अक्स है। दिख रही है खूबसूरत आज फिर ये जमीं जो जमीं पर छा रहा वो आसमाँ का अक्स … Continue reading छा गया जेहन पर